एक अनुभवी फिजियोथेरेपिस्ट के रूप में, मैंने देखा है कि चोटों से उबरने और पुराने दर्द को मैनेज करने वाले मरीज अक्सर गर्म और ठंडे पैक के उपयोग को लेकर कन्फ्यूज रहते हैं। ये सरल थेरेपीज़ बहुत प्रभावी होती हैं, लेकिन कई बार लोग इन्हें गलत तरीके से इस्तेमाल करते हैं, जिससे फायदा कम और नुकसान ज्यादा हो जाता है।
आइए देखें, गर्म और ठंडे पैक से जुड़े सबसे आम मिथकों को:
मिथक 1: “चोट के तुरंत बाद गर्मी लगाई जा सकती है”
एक आम गलतफहमी यह है कि चोट लगने के तुरंत बाद (जैसे मोच या खिंचाव) गर्मी से दर्द में आराम मिल सकता है। यह एक खतरनाक गलतफहमी है।
हकीकत: गर्मी से ब्लड फ्लो बढ़ता है, जो सूजन और इन्फ्लेमेशन को बढ़ा सकता है। चोट के बाद पहले 48 घंटों में आपके शरीर को सूजन को शांत करने की जरूरत होती है, न कि इसे बढ़ाने की। इसी समय ठंडे पैक का इस्तेमाल करना सही होता है।
सही तरीका: चोट लगने के तुरंत बाद कोल्ड थेरेपी सबसे बेहतर होती है। ठंडा पैक लगाने से ब्लड वेसल्स सिकुड़ जाती हैं (vasoconstriction), जिससे ब्लड फ्लो कम होता है और सूजन कम होती है। इससे दर्द में भी राहत मिलती है। इसलिए चोट के पहले कुछ घंटों में ठंडा पैक ही इस्तेमाल करना चाहिए।
मिथक 2: “जितना ज्यादा गर्म या ठंडा, उतना बेहतर”
कुछ लोग मानते हैं कि ज्यादा गर्मी या सीधे बर्फ लगाने से जल्दी फायदा होगा। लेकिन इससे जलन, शीतदंश (frostbite) और त्वचा को नुकसान हो सकता है।
हकीकत: बहुत ज्यादा गर्म या ठंडा करने से चोट जल्दी ठीक नहीं होती, बल्कि इससे स्किन और टिश्यू को नुकसान हो सकता है।
सही तरीका: जब आप गर्म पैक का उपयोग करें, तो यह आरामदायक गर्म होना चाहिए, न कि बहुत ज्यादा गर्म। गर्म स्रोत और आपकी स्किन के बीच हमेशा एक तौलिया या कपड़ा रखें और इसे 15-20 मिनट से ज्यादा समय तक न लगाएं। इसी तरह, बर्फ के पैक को सीधे स्किन पर कभी न लगाएं। इसे हमेशा किसी कपड़े में लपेटें और इसे 10-15 मिनट के लिए ही इस्तेमाल करें। बहुत ज्यादा ठंड से स्किन को नुकसान हो सकता है, जिसे ठीक करना मुश्किल हो सकता है।
मिथक 3: “गर्मी और बर्फ एक जैसे हैं और इन्हें आपस में बदल सकते हैं”
एक और आम गलतफहमी यह है कि गर्म और ठंडा थेरेपी एक जैसे हैं और इन्हें किसी भी समय इस्तेमाल कर सकते हैं।
हकीकत: गर्मी और ठंड का काम अलग-अलग होता है और इन्हें सही समय पर ही इस्तेमाल करना चाहिए।
सही तरीका: ठंडा पैक ताजे (acute) चोटों के लिए सही होता है, जैसे कि मोच, खिंचाव या जब सूजन हो। इससे सूजन कम होती है और दर्द सुन्न हो जाता है। गर्मी का उपयोग पुराने दर्द (chronic pain) जैसे मांसपेशियों की जकड़न, कठोरता या जोड़ों के दर्द में मदद करता है। यह मसल्स को आराम देने, ब्लड फ्लो बढ़ाने और कठोरता को कम करने के लिए होता है। गलत समय पर गलत थेरेपी का उपयोग करने से आपकी रिकवरी धीमी हो सकती है या दर्द बढ़ सकता है।
मिथक 4: “जितनी देर तक लगाएंगे, उतना अच्छा”
कुछ लोग सोचते हैं कि अगर वे गर्म पैक को घंटों तक लगाए रखेंगे या बर्फ के पैक को ज्यादा देर तक रखेंगे, तो वे जल्दी ठीक हो जाएंगे। यह मिथक खासकर नुकसानदायक हो सकता है।
हकीकत: आपके शरीर को सही बैलेंस में थेरेपी की जरूरत होती है।
सही तरीका: बहुत ज्यादा समय तक गर्म पैक लगाने से जलन और त्वचा को नुकसान हो सकता है, खासकर सेंसिटिव जगहों पर। गर्मी का इस्तेमाल 15-20 मिनट के सेशन में करना चाहिए, बीच-बीच में ब्रेक लेकर ताकि स्किन को ठंडा होने का समय मिले। इसी तरह, बर्फ का ज्यादा देर तक इस्तेमाल करने से शीतदंश (frostbite) या नसों को नुकसान हो सकता है, जिससे आपकी रिकवरी और धीमी हो सकती है। बर्फ का उपयोग 10-15 मिनट के छोटे-छोटे सेशन में करें, फिर स्किन को कुछ समय तक गर्म होने दें।
मिथक 5: “थर्मोथेरेपी और क्रायोथेरेपी सभी समस्याओं का हल हैं”
कई मरीज मानते हैं कि गर्म या ठंडा थेरेपी अकेले ही उनकी चोटों या दर्द को ठीक कर सकती है। जबकि ये थेरेपी असरदार हैं, लेकिन ये अकेले पूरी तरह से इलाज नहीं हैं।
हकीकत: गर्म और ठंडा थेरेपी एक सम्पूर्ण उपचार योजना का हिस्सा होना चाहिए, जिसमें फिजियोथेरेपी, एक्सरसाइज और अगर जरूरत हो तो दवाइयां या सर्जरी भी शामिल हो सकती है।
इस आर्टिकल का उद्देश्य आपको सही जानकारी देना है ताकि आप अपने इलाज में सही निर्णय ले सकें और जल्दी ठीक हो सकें।
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